“लवंगं वातकफघ्नं च दीपनं रुचिकारकम् । ”
भारतीय मसालों की रसोई में मौजूद एक छोटा-सा तत्व लौंग (Laung), आयुर्वेद के अनुसार एक चमत्कारी औषधि है। लौंग केवल स्वादवर्धक नहीं बल्कि औषधीय गुणों की खान है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे वात और कफ दोष नाशक माना गया है। इसकी तीक्ष्ण सुगंध, ऊष्ण प्रभाव और औषधीय तासीर शरीर की कई समस्याओं को मिटाने में सहायक है।
संस्कृत नाम : लवंग वैज्ञानिक नाम: Syzygium aromaticum ; कुल: Myrtaceae; प्रभाव: कफ- वातशामक, अग्निदीपक, शूलहर, मुखशुद्धिकर, ज्वरहर
लौंग के आयुर्वेदिक गुण:
रसः कटु ( तीखा ), तिक्त (कसैला )
गुण: लघु, तीक्ष्ण, रुक्ष
वीर्यः उष्ण (गर्म)
विपाकः कटु (पचने के बाद भी तीखा प्रभाव देता है)
दोष प्रभावः कफ और वात को शांत करता है, पित्त को बढ़ा सकता है।
सुश्रुत संहिता और चरक संहिता दोनों में लौंग को वातनाशक और पाचनवर्धक कहा गया है
लौंग के आयुर्वेदिक नुस्ख गले में खराश और कफ की समस्या
उपाय: एक लौंग को शहद के साथ चूसें।
लाभ: गला साफ होगा, बलगम ढीला पड़ेगा, खांसी में राहत । दांत का दर्द और दुर्गंध
उपाय: लौंग के तेल की 2 बूंदें रुई में डालकर दर्द वाले दांत पर रखें।
लाभ: सूजन, दर्द, और सांस की बदबू में राहत ।
पाचन तंत्र को सुधारने वाला चूर्ण
उपाय: भुनी लौंग, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर चूर्ण बनाएं।
सेवन विधि : भोजन के बाद 1 चुटकी लें।
लाभ: गैस, अपच और भूख की कमी में लाभ ।
जुकाम और बंद नाक
उपाय: लौंग को तवे पर सेंक कर कपड़े में लपेटकर सूंघें ।
लाभ: नाक खुलेगी, सिरदर्द में भी आराम मिलेगा।
मुँह के छाले और गंध
उपाय: लौंग को पीसकर मिश्री के साथ मिलाकर छालों पर लगाएं।
लाभ: जलन शांत होती है और मुँह साफ रहता है।
स्त्रियों की मासिक समस्याएं
उपाय: लौंग, अदरक, दालचीनी का काढ़ा बनाएं।
सेवन विधि : पीरियड्स के पहले 3 दिन तक दिन में दो बार पिएं। लाभ: दर्द और ऐंठन में राहत ।
मानसिक तनाव और नींद न आना
उपाय : दूध में लौंग का पाउडर डालकर रात को पिएं।
लाभ: तनाव कम होगा, नींद अच्छी आएगी।
त्वचा के फोड़े-फुंसियों पर प्रयोग
उपाय: लौंग पाउडर नारियल तेल में मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
लाभ: सूजन कम होगी, बैक्टीरिया खत्म होंगे।
श्वास रोगों के लिए
उपाय: लौंग, तुलसी, काली मिर्च, शहद मिलाकर सेवन करें।
लाभ: खांसी, अस्थमा, सांस की तकलीफ में राहत ।
लौंग से बने आयुर्वेदिक उत्पाद:
लवंगादि वटी: मुख रोगों के लिए
दन्तमंजन चूर्ण: दांत-मसूड़ों की देखभाल
लवंग तेल: दर्द और कीटाणुनाशक
सावधानियां:
अत्यधिक सेवन से पित्त बढ़ सकता है, सीने में जलन हो सकती है। गर्भवती महिलाएं या हाई बीपी रोगी डॉक्टरी सलाह के बाद ही लें। लौंग का तेल हमेशा डायल्यूट करके ही लगाएं। निष्कर्ष:
लौंग, भारतीय चिकित्सा की एक अद्भुत प्राकृतिक औषधि है जो आपकी रसोई में पहले से मौजूद है। अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह छोटी-सी कली कई बड़े रोगों को ठीक कर सकती है। लौंग का महत्व केवल रसोई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का हिस्सा है।